MP News: कहो तो कह दूँ… अपराध मापने के पैमाने मे खोट

कहो तो कह दूँ… अपराध मापने के पैमाने मे खोट
उमकांत द्विवेदी
MP News: समाज का नेतृत्व करने वाले तथा हुकूमत चलाने वाले यदि…न्यायप्रिय ना हों तो समाज का पतन सुनिश्चित है…इससे कई तरह के दुष्प्रभाव भी सामने आते हैं…प्रमुख रूप से समाज में यदि भेदभाव किया गया तो लोगों में असंतोष की भावना जागृत होती है …और नतीजा यह निकलता है कि …भेदभाव के शिकार लोग बदले की भावना से खुद को अपराध की दुनिया में झोंक देते हैं …कुल मिलाकर समाज में भेदभाव पूरे क्षेत्र के लिए घातक है…लेकिन इन दिनों देश का हृदय स्थल कहा जाने वाले प्रदेश में हुकूमत चलाने वालों के ऊपर…अपराधियों को सजा देने में भेदभाव करने के आरोप सुर्खियों में है…एक सप्ताह के अंदर प्रदेश के कई हिस्सों में दिल दहला देने वाली घटनाएं सामने आई…अपराधियों ने न सिर्फ कानून हाथ में लिया बल्कि कई लोगों का कत्ल कर दिया…यही नहीं एक खाकीधारी को भी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया…इन बड़ी घटनाओं के बाद पूरे प्रदेश सहित आसपास के अन्य प्रदेशों में सन्नाटा पसर गया…जगह जगह मातम छा गया…होली जैसे बड़े त्यौहार की खुशी फीकी पड़ गई…इन घटनाओं के बाद पुलिस ने अपना काम किया लेकिन…अपराधियों पर हो रही कार्यवाही को समाज के कुछ वर्ग के लोग पर्याप्त नहीं मान रहे हैं…क्योंकि पूर्व में हुई कुछ घटनाओं के बाद अपराधियों पर कुछ अतिरिक्त कार्यवाहियां भी हुई थी…ऐसे में यह माना जा रहा है कि…प्रदेश में हुकूमत चलाने वाले किस पैरामीटर से अपराध को मापते हैं कि…समाज को पैरामीटर में गड़बड़ी नजर आती है…और कार्रवाई में भेदभाव प्रतीत होता है…अब आपको यह बताना जरूरी है कि समाज इस कार्यवाही में भेदभाव क्यों मान रहा है…इसके लिए आपको ले चलते हैं विंध्य क्षेत्र के एक कस्बे में जहां…पिछले दिनों एक युवक ने संभवत नशे की हालत में एक ऐसे समाज के व्यक्ति पर पेशाब कर दिया था…जिस समाज को शोषित पीड़ित माना जाता है…इस घटना के बाद समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले तमाम लोगों ने…पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए एड़ी चोटी का बल लगा दिया था…और उन्हें बड़ी कार्यवाही कराने में सफलता भी मिली थी…यहां युवक का पैतृक घर भी जमीन दोज कर दिया गया था…इधर पीड़ित को पर्याप्त सम्मान भी दिया गया…यहां तक तो ठीक था…लेकिन उसके बाद प्रदेश के कई हिस्सों में हत्याएं हो जाती हैं…यहीं से अपराध मापने के पैरामीटर में गड़बड़ी समझ में आने लगती है…अब लोगों के समझ में यह नहीं आ रहा है कि…किसी व्यक्ति के ऊपर पेशाब करना या…किसी व्यक्ति की हत्या करना…इन दोनों में कौन सा अपराध बड़ा है…किस अपराध में बड़ी कार्रवाई होनी चाहिए…क्योंकि हुकूमत करने वालों की नजर में तो हत्या की अपराध छोटी नजर आ रही है…और इनका अपराध मापने का पैरामीटर भी हत्या को छोटा अपराध बता रहा है…ऐसे में प्रदेश के तमाम लोग असंतुष्ट तो है ही…साथ ही कार्रवाई में भेदभाव मान रहे हैं…इसे वोट बैंक की राजनीति भी कही जा रही है…एक वर्ग को खुश करने के लिए किसी दूसरे वर्ग के साथ अन्याय माना जा रहा है…और बुद्धिजीवियों का मानना है कि…यदि अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में भेदभाव होता रहा तो…समाज में असंतोष की भावना उत्पन्न होगी…और अपराध का ग्राफ धीरे-धीरे बढ़ता रहेगा…जो पूरे प्रदेश के लिए घातक सिद्ध हो सकता है…अब यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि हत्या करने वाले संभवतः अशिक्षित थे…उन्हे शायद मोहरा बनाया गया…और कहीं ना कहीं प्रशासन का ढुलमूल रवैया दोषी है…क्योंकी हत्या करने वाला संबधित व्यक्ति जन्म से ही अपराधी पैदा नही हुआ था…उसे सिस्टम की उदाशिनता ने मजबुर किया